राम को लेकर भारत में लंबे अरसे से बहस छिड़ी है। वर्तमान दौर में इस बहस को राजनीतिज्ञों ने अत्यंत ही तीखा बना दिया है। जिससे राम समय के साथ सीमित होते जा रहे हैं। हिंदी साहित्य में तुल... Read more
केदारनाथ सिंह तीन बजे दिन में आ गए वे जब वे आए किसी ने सोचा तक नहीं था कि ऐसे भी आ सकते हैं सारस एक के बाद एक वे झुंड के झुंड धीरे-धीरे आए धीरे-धीरे वे छा गए सारे आसमान में धीरे-धीरे... Read more
जयप्रकाश नारायण एक था चिड़ा और एक थी चिड़ी एक नीम के दरख़्त पर उनका था घोंसला बड़ा गहरा प्रेम था दोनों में दोनों साथ घोंसले से निकलते साथ चारा चुगते, या कभी-कभी चारे की कमी होने पर अलग अलग... Read more
राजेंद्र यादव जरा ठहरिए, यह कहानी विष्णु की पत्नी लक्ष्मी के बारे में नहीं, लक्ष्मी नाम की एक ऐसी लड़की के बारे में है जो अपनी कैद से छूटना चाहती है। इन दो नामों में ऐसा भ्रम होना स्वाभ... Read more
बू बरसात के यही दिन थे. खिड़की के बाहर पीपल के पत्ते इसी तरह नहा रहे थे सागवन के स्प्रिन्गदार पलंग पर, जो अब खिड़की के पास थोड़ा इधर सरका दिया गया, एक घाटन लड... Read more
खोल दो अमृतसर से स्पेशल ट्रेन दोपहर दो बजे चली और आठ घंटों के बाद मुगलपुरा पहुंची। रास्ते में कई आदमी मारे गए। अनेक जख्मी हुए और कुछ इधर-उधर भटक गए। सुबह दस बजे कैंप की ठंडी जमीन पर जब सिराज... Read more
आग की भीख धुँधली हुईं दिशाएँ, छाने लगा कुहासा, कुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँ-सा। कोई मुझे बता दे, क्या आज हो रहा है; मुँह को छिपा तिमिर में क्यों तेज रो रहा है? दाता, पुकार मेरी, संदीप्... Read more
कृष्ण की चेतावनी वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर। सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या होता है। मैत्री की राह बता... Read more
दिल्ली यह कैसी चांदनी अम के मलिन तमिस्र गगन में कूक रही क्यों नियति व्यंग से इस गोधूलि-लगन में ? मरघट में तू साज रही दिल्ली कैसे श्रृंगार? यह बहार का स्वांग अरी इस उजड़े चमन में! इस उजाड़ नि... Read more
परंपरा परंपरा को अंधी लाठी से मत पीटो उसमें बहुत कुछ है जो जीवित है जीवन दायक है जैसे भी हो ध्वंस से बचा रखने लायक है पानी का छिछला होकर समतल में दौड़ना यह क्रांति का नाम है लेकिन घाट बांध क... Read more
Admin in: अनंत / एक हिन्दी सेवक का सड़क पर संघर्ष
हाशिये से वर्चस्व को चुनौती देते हुए नई लकीर खींच रहे है लालजी प्रसाद ...
Admin in: लेख / नर - नारी समानता के अग्रदूत अंबेडकर
अम्बेडकर को याद करते हुए उनकी जयंती पर अत्यंत ही पठनीय लेख प्रकाशित कर ...
Admin in: अनंत / रेणु साहित्य पर केन्द्रित गीत
हिंदी साहित्य यह एक नई शैली विकसित करने कि दिशा में सार्थक प्रयास ...
Admin in: साक्षात्कार / ४४ साल पहले फणीश्वरनाथ रेणु से सुरेंद्र किशोर की खास बातचीत
साहित्यिक इतिहास के लिहाज से यह एक सार्थक खोज कार्य है ...
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