कविता / फणीश्वर नाथ रेणु
मिनिस्टर मंगरू
कहाँ गायब थे मंगरू?'-किसी ने चुपके से पूछा।
वे बोले- यार, गुमनामियाँ जाहिल मिनिस्टर था।
बताया काम...
कविता / फणीश्वर नाथ रेणु
यह फागुनी हवा
यह फागुनी हवा
मेरे दर्द की दवा
ले आई...ई...ई...ई
मेरे दर्द की दवा!आंगन ऽ बोले कागा
पिछवाड़े कूकती कोयलिया
मुझे...
कविता / फणीश्वर नाथ रेणु
इमरजेंसी
इस ब्लाक के मुख्य प्रवेश-द्वार के समने
हर मौसम आकर ठिठक जाता है
सड़क के उस पार
चुपचाप दोनों...
कविता / फणीश्वरनाथ रेणु
अपने ज़िले की मिट्टी से
फणीश्वर नाथ रेणु
कि अब तू हो गई मिट्टी सरहदी
इसी से हर सुबह कुछ...
कविता
साजन ! होली आई है!
फणीश्वरनाथ रेणु
साजन! होली आई है!
सुख से हँसना
जी भर गाना
मस्ती से मन को बहलाना
पर्व...